अशफाक उल्ला खां के शहादत दिवस पर निकाला सद्भावना मार्च


अयोध्या(आरएनएस)। शहीद भगतसिंह स्मृति ट्रस्ट द्वारा आज काकोरी के महानायक अशफाक उल्ला खां का शहादत दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ “पुष्पराज चौराहा बिजली दफ्तर प्रांगण से जेल तक “सद्भावना मार्च“इंकलाबी नारे ऐ शहीद तेरे अरमानों को हम,मंजिल तक पहुंचाएंगे,

ब्रिटिश हुकूमत ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और 19 दिसम्बर 1927 को उन्हें फैज़ाबाद जेल में फांसी दे दी गई

काकोरी के अमर शहीदों लाल सालाम,काकोरी के अमर शहीदों पंडित रामप्रसाद विस्मिल अशफाक उल्लाह खां अमर रहे और साझी विरासत,साझी शहादत जिंदाबाद आदि गगन भेदी नारे ट्रस्ट के सदस्य धीरज द्विवेदी,अनिता यादव,मालती तिवारी,अखिलेश सिंह ,जेपी श्रीवास्तव और पूजा श्रीवास्तव के नेतृत्व में लगाते हुए जेल परिसर पहुंचकर शहीद प्रतिमा पर माल्यर्पण करके क्रांतिकारी श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।

कार्यक्रम की शुरआत सभा से हुई।सभा की अध्यक्षता जेपी श्रीवास्तव ने किया।और संचालन युवा शायर मुजम्मिल फिदा ने किया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता साकेत महाविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर डाक्टर अनिल सिंह सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि क्रांतिकारियों ने अपने लिए नही,अपनों के लिए कुर्बानी दिया ब्रिटिश हुकूमत के चूल्हे हिलाने वाले क्रांतिकारियों की कुर्बानी की बजह से आज देश आजाद हुआ।आजादी के पहले क्रांतिकारियों ने सपना देखा था कि एक सुंदर भारत आजादी के बाद होगा,जातिपाति की खाई नही होगी,युवाओं को शिक्षा व रोजगार मिलेगा,देश मे भाई चारा कायम होगा।अमीर गरीब की खाई नही होगी।लेकिन आजादी के बाद देश मे नफरत व हिंसा का दौर शुरू हो गया,आज चारो तरफ एक दूसरे जाती व धर्म के खिलाफ नफरत फैलती जा रही है।सम्राज्यवादी ताकते अपनी मजबूत जड़े फैलाकर एकता को तोड़ रही है।इसके खिलाफ हमे साझी शहादत और साझी विरासत को मजबूत करना होगा।यही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
अशाफक उल्लाह खां उर्दू भाषा के बेहतरिन शायर भी थे उनका उर्दू तख़ल्लुस(उपनाम)“हसरत“और पूरा नाम अशफाक उल्लाह खां वारसी था।अशाफक शायरी के चलते रामप्रसाद बिस्मिल के बेहद गहरे दोस्त थे,बिस्मिल भी उर्दू के बेहतरिन शायर थे।भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में “बिस्मिल और अशाफक की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। ट्रस्ट की सदस्य पूजा श्रीवास्तव ने कहा कि आजादी के लिए युवाओं ने कुर्बानी दिया लेकिन मौजूदा सरकारें शहीदों के सपने को चकनाचूर कर रही है।जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है,युवाओं के आगे आकर शहीदों के अरमानों को आगे ले चले। मार्च में वरिष्ठ साहित्यकार स्वप्निल श्रीवास्तव,अखिलेश सिंह,जयप्रकाश श्रीवास्तव,पल्लन श्रीवास्तव,अजय बाबा,बालकिशन यादव,मालती तिवारी,अनिता यादव,रामसुरेश निषाद,रामरती,शेरबहादुर शेर,शिबधर द्विवेदी,मंजू श्रीवास्तव,सिखा श्रीवास्तव,रीना श्रीवास्तव,श्रेया श्रीवास्तव,कंचन सिंह,प्रतिष्ठा श्रीवास्तव,समृद्धि ,प्रेम कुमारी,रजनीकांत,अर्चना पांडेय,फरहीन,मिश्रा जी,शैलेन्द्र,सनी,गुफरान सहित सैकड़ों साथी शामिल रहे।

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