यूपी : बाघों के डर से जंगल छोड़ रहे तेंदुए इंसानों के लिए बने खतरा ।
बाघों के साथ तेंदुओं की बढ़ती तादात के कारण उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। अपने इलाके को लेकर बेहद आक्रामक बाघों ने घुसपैठ करने वाले तेंदुओं का जीना मुश्किल कर दिया है। बाघों की ओर से लगातार मुठभेड़ और हमले का खतरा देख तेंदुए जंगल से भागकर बस्तियों और खेतों में ठिकाना बना रहे हैं। जहां उनका इंसानों के आमना-सामना हो रहा है। छह महीने के दौरान आबादी में जाकर तेंदुए चार इंसानों की जान ले चुके हैं।
दरअसल, टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। तेंदुओं की आबादी भी कम नहीं है। टाइगर रिजर्व में 107 बाघ हैं और 70 तेंदुए। ऐसे में आए दिन बाघ और तेंदुओं के बीच इलाके को लेकर लड़ाइयां हो रही हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघों से तुलना में तेंदुए कहीं नहीं टिकते। 6 महीने के अंदर कर्तनिया घाट, वन्य जीव प्रभाग और दुधवा बफर जोन में तेंदुए के जंगल से बाहर निकलने की घटनाएं बढ़ी हैं।
गौरतलब है कि बाघ के डर से जंगल छोड़कर निकले तेंदुए धौरहरा इलाके में दहशत का पर्याय बने हैं। छह माह में तेंदुए चार की जान ले चुके हैं। जबकि 18 लोगों को जख्मी कर चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ के इलाके में तेंदुओं का रुकना खतरनाक है। आठ मार्च को बाघ से संघर्ष में तेंदुए की जान चली गई। उसका शव जंगल के पास पड़ा पाया गया। जिस इलाके में तेंदुए का शव मिला है, वहां बाघों की मौजूदगी की भी पुष्टि हो चुकी है।
अब तक तीन तेंदुओं को मिला नया जंगल
अपने पुराने इलाके से भगाए गए तीन तेंदुओं को वन विभाग ने दोबारा जंगल भेजा है। हालांकि इस बार उनका इलाका बदला गया है। कर्तनिया के जंगल से निकले तेंदुओं को पिंजड़े में कैद कर दुधवा के उस क्षेत्र में छोड़ा जा रहा है, जहां बाघों का दखल कम हो, जिससे दोबारा टकराव की नौबत न आए।
बाघ का एक सामान्य स्वभाव है कि वह अपने क्षेत्र में तेंदुए को ठहरने नहीं देता है। जहां बाघ बढ़ते हैं, वहां से तेंदुए पलायन करने लगते हैं। इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि बाघों के लिए जंगल कम पड़ रहा है। उसकी टेरीटरी बड़ी हो रही है। – डॉ. वीपी सिंह, सचिव तराई नेचर कंजर्वेशन सोसाइटी।
धौरहरा इलाके में तेंदुओं के जंगल से निकलने की घटनाएं सामने आई हैं। इन तेंदुओं के लिए ऑपरेशन चलाकर पकड़ा गया और फिर दूसरे क्षेत्र में भेजा गया है। एक तेंदुए की मौत भी हुई है। हमने प्रभावित क्षेत्रों में कैमरे लगाए हैं। – डॉ. अनिल पटेल, डीडी बफर जोन
मानव-जीव संघर्ष रोकने के लिए जल्द बनेगी कार्ययोजना
पीलीभीत टाइगर रिजर्व ने जंगल क्षेत्र के संवेदनशील और अति संवेदनशील स्थान चिन्हित कर दिए हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की कुल पांच रेंज में से बराही, माला और महोफ रेंज सबसे खतरनाक मानी गई हैं। इन रेंज में 72 अतिसंवेदनशील और 283 संवेदनशील गांव तय होने के साथ आने वाले दिनों में अब नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथारिटी (एनटीसीए) और शासन के मानक के तौर पर तैयार योजना पर काम शुरू होगा। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 65 से ज्यादा बाघ हो चुके हैं। कई बार बाघ अपनी टेरीटरी को छोड़ कर जंगल से बाहर आबादी का रुख करते हैं। विश्व प्रकृति निधि के परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि संवेदनशील स्थानों पर मानव-वन्यजीव संघर्ष न हो इसके लिए पूरे प्रबंध रहते हैं। लगातार योजनाएं भी बन रहीं हैं। माला और महोफ रेंज में गाइड लाइन पर काम शुरू कराया जाएगा।