नई दिल्ली (आरएनएस)। भारत ने एक बार फिर रूस के साथ अपने रिश्तों की सराहना की है। मॉस्को पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि रूस एक मूल्यवान साझेदार है, समय की कसौटी पर परखा हुआ साझेदार है। इधर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस आने का न्योता दिया है। खास बात है कि भारत और चीन दोनों ही ऐसी बड़ी शक्तियां हैं, जो यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर खुलकर रूस की आलोचना नहीं की।
जयशंकर ने रूस के राष्ट्रपति भवन ‘क्रेमलिनÓ में पुतिन से मुलाकात की। पुतिन ने जयशंकर से कहा, ‘हमें अपने मित्र प्रधानमंत्री मोदी को रूस में देखकर खुशी होगी।Óरूस की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर यहां आए जयशंकर ने इससे पहले अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। लावरोव के साथ अपनी बातचीत के बाद संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन में मिलेंगे। इससे पहले अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि दोनों नेता लगातार संपर्क में रहे हैं। जयशंकर ने ‘एक्सÓ पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज शाम राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उन्हें शुभकामनाएं दी और एक निजी संदेश सौंपा। राष्ट्रपति पुतिन को उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ मेरी चर्चाओं से अवगत कराया। दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने पर उनके मार्गदर्शन की सराहना की।Ó
जयशंकर ने यहां रूस के अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ ‘सार्थकÓ बैठक की और इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर बात की। रूस की पांच दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने लावरोव के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन संघर्ष, गाजा की स्थिति, अफगानिस्तान और मध्य एशिया, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन, जी20 और संयुक्त राष्ट्र पर भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग, ऊर्जा व्यापार, कनेक्टिविटी प्रयासों, सैन्य-तकनीकी सहयोग और दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘2024-28 की अवधि के लिए परामर्श प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए। भारत-रूस संबंध भू-राजनीतिक वास्तविकताओं, रणनीतिक भागीदारी और पारस्परिक लाभ को दर्शाते हैं।