राम नाम पर लूट है.. लूट सको तो लूट

राम नाम पर लूट है.. लूट सको तो लूट.. जमकर लूट.. खुलकर लूट. सईया भी अपने.. सरकार भी अपने. सिस्टम भी अपना. राम का पेटेंट तो अपने पास है ही.. इतिहास की सबसे बड़ी लूट अगर कोई बनेगा तो राम के नाम पर भगवाधारियों की चंदाखोरी को याद किया जाएगा. ये तो तीन महीने में पैसा डबल करने वाली स्कीम से भी खतरनाक स्कीम बन चुकी है. राम मंदिर की जमीन खरीद में 79 दिनों में 1250 प्रतिशत बढ़ोत्तरी है हेराफेरी और महापाप की ओर साफ इशारा करती है.
आज हम प्रूफ के साथ दिखाएंगे कि राम नाम पर इकट्ठा हुए चंदे की लूट में भाजपाई शामिल हैं. और भाजपा की सरकार इन्हें संरक्षण दे रही है.
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नए सनसनीखेज खुलासे में मंदिर की जमीन खरीदने में करोड़ों के घोटाला का एक एक फैक्ट छिपा है. ये कैसे शुरु हुआ और भाजपा के किस नेता के पास कितना पहुंचा इसकी पूरी डिटेल निकाली है हमने.
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लूट का पहला किरदार. दीप नारायण उत्तर प्रदेश बीजेपी के नेता हैं. आईटी सेल से जुड़े हैं. फेसबुक प्रोफाईल से भी साफ है.
दीप नारायण अयोध्या के भाजपा के मेयर, ऋषिकेश उपाध्याय का रिश्ते में भांजा भी लगते हैं. और ऋषिकेश उपाध्याय नरेन्द्र मोदी और योगी के कितने करीबी हैं ये पूरी दुनिया जानती है.

दूसरा .. 20 फरवरी, 2021 को दीप नारायण ने अयोध्या में हवेली अवध के नाम से 890 वर्गमीटर भूमि ₹20 लाख में खरीदी. सेल डीड आपके सामने है. यानि भूमि का खरीद रेट ₹2,247 प्रति वर्गमीटर है, जबकि सेल डीड के मुताबिक ही भूमि का कलेक्टर रेट ₹4,000 प्रति वर्गमीटर है.

तीसरा.. सिर्फ 79 दिन के बाद यानि 11 मई, 2021 को भाजपा नेता, दीप नारायण ने यह जमीन श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के लिए चंपतराय को ढाई करोड़ रु. में बेच दी. वो भी सेल डीड सामने थी. यानि भूमि का खरीद रेट 28,090 रु. प्रति वर्गमीटर है,जबकि सेल डीड के मुताबिक भूमि का कलेक्टर रेट 4,000 रु. प्रति वर्गमीटर है.

श्री राम मंदिर निर्माण के लिए दान दिए गए चंदे में घोटाला कैसे हुआ अब इसे भी समझिए.

  1. 79 दिन में जमीन की कीमत 1250 प्रतिशत बढ़ गई. लगभग 3 लाख रुपया प्रति दिन कीमत बढ़ती गई. यानि, जो जमीन 20 मई, 2021 को मात्र 20 लाख रु. में खरीदी गई, वही जमीन 11 मई, 2021 को 2,50,00,000 रु. में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को बेच दी गई.
  2. भाजपा नेता दीप नारायण ने जो भूमि 2,247 रु. प्रति वर्गमीटर के भाव से खरीदी गई, वही भूमि 79 दिन में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को 28,090 रु. प्रति वर्गमीटर के हिसाब से बेच दी गई. जबकि इस जमीन की सरकारी कीमत मात्र 4,000 रु. प्रति वर्गमीटर की थी.
  3. राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट से चंपतराय, और सचिव अनिल मिश्रा ने जमीन खरीदी और राम मंदिर निर्माण के लिए इकट्ठे किए गए पैसे से भुगतान किया. अनिल मिश्रास्श्श् राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रांत कार्यवाहक रह चुके हैं. वो खरीद बिक्री के गवाह बने. राम मंदिर निर्माण के लिए जुटाए गए चंदे के मालिक थे चंपतराय. लेकिन चंपतरायने एक बार भी जमीन की सही कीमत का पता नहीं लगाया. क्या उन्हें पता नहीं था कि 2,247 रुपए प्रति वर्गमीटर में खरीदी हुई जमीन को वो 28,090 रु. प्रति वर्गमीटर में खरीद रहे हैं. यानि 12.5 गुना अधिक राशि का भुगतान कर रहे हैं.
  4. जमीन बेचने वाला दीप नारायण यूपी भाजपा का नेता है और भाजपा आईटी सेल से जुड़ा है. यही नहीं, दीप नारायण भाजपा के अयोध्या के मेयर, ऋषिकेश उपाध्याय का रिश्ते में भांजा भी हैं. राममंदिर निर्माण ट्रस्ट की ओर से जमीन खरीदने वाले चंपतराय और दूसरे ट्रस्टी, गवाह, अनिल मिश्रा भी भाजपा- राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं. तो इसके क्या मायने हैं?
  5. इससे पहले भी तथ्य सामने आए हैं कि 18 मार्च, 2021 को दो करोड़ में खरीदी गई जमीन श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के लिए चंपतराय ने 18.5 करोड़ में खरीदने का इकरारनामा किया था. इन रजिस्टर्ड सेल डीड पर भी अनिल मिश्रा, और ट्रस्टी बतौर गवाह मौजूद रहे. भाजपा नेता और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय भी बतौर गवाह मौजूद रहे. यहां भी राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को जमीन बेचने वाले, रवि मोहन तिवारी, भाजपा के मेयर, ऋषिकेश उपाध्याय के रिश्तेदार हैं.

इस पूरे मामले में पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों की छवि को नुकसान पहुंच रहा है. इसलिए कुछ सवाल उनसे भी बनता है.

  1. क्या कारण है, कि भगवान, श्री राम के मंदिर निर्माण के चंदे की खुली लूट करने वाले पापियों के खिलाफ कोई भी कार्यवाई करने बारे पीएम मोदी – सीएम योगी पूरी तरह से चुप हैं?
  2. क्या पीएम-सीएम देश को बताएंगे कि 79 दिनों में जमीन की कीमत 1250 प्रतिशत कैसे बढ़ी?
  3. जब भाजपा सरकार द्वारा भूमि की कीमत मात्र 4000 रु. प्रति वर्गमीटर आंकी गई, तो फिर राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने इसे 28,090 रु. प्रतिवर्ग मीटर में क्यों खरीदा?
  4. क्या भाजपा नेता राम मंदिर निर्माण के लिए इकट्ठे किए गए चंदे को चूना लगा, मुनाफे की लूट में लगे हैं?
  5. श्री राम मंदिर निर्माण के लिए दिए गए हजारों करोड़ के चंदे में कितनी और रजिस्ट्रियों में खुली लूटपाट हुई है? क्या सुप्रीम कोर्ट के तत्वाधान में पूरे मामले की जाँच व पैसे के लेनदेन का ऑडिट कर सारे तथ्य देशवासियों के समक्ष नहीं रखे जाने चाहिए?

जो राम मंदिर देश की शान है. जिस राम मंदिर को बनवाने के लिए कितनी कानूनी लड़ाईयां लड़ी पड़ी. क्या इसी दिन के लिए. इतने फैक्ट के बाद भी सरकार क्यों सोई है. एक्शन क्यों नहीं हो रहा है. या कहीं इसके सीधे लिंक सरकार से जुड़े नहीं है. आम लोगों के दिल दिमाग में ये सारे सवाल बैठे हैं. योगी सरकार की साख मटियामेट हो गई. खुद पीएम मोदी की छवि को भी धक्का लगा. कहीं इसका खामियाजा यूपी चुनाव में बीजेपी को उठाना ना पड़ जाए.

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