अखिलेश यादव के भोजपुरी दांव के सामने बीजेपी आलाकमान की रणनीति फीकी पड़ती दिखाई दे रही है….

सियासत और मनोरंजन के दो अलग-अलग रास्ते होते हैं लेकिन जब वो एक साथ मिल जाएं तो बेजोड़ जनाधार तैयार होता है….. जब मनोरंजन की दुनिया के चमकते सितारे दिग्गज राजनेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एक मंच साझा करते हैं तो भीड़ इस कदर जुटती है कि उस पर कभी-कभी काबू पाना भी मुश्किल हो जाता है….. बाद में ये ही भीड़ वोट में तब्दील हो जाती है….. बस ये ही वजह है कि हर सियासी पार्टी चाहती है कि मनोरंजन की दुनिया की मशहूर हस्तियां उसके साथ आकर जुड़ जाएं….. ताकि उनके सहारे वो अपनी नैया पार लगा सकें….. बात करें अगर यूपी की तो यहां के ज्यादातर हिस्सों में भोजपूरी इंडस्ट्री के कलाकारों का बोलबाला रहता है….. ये ही वजह है कि सत्ताधारी बीजेपी ने भोजपुरी फिल्म इंटस्ट्री के मशहूर कलाकारों को अपने साथ जोड़ रखा है…. भोजपुरी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता मनोज तिवारी, दिनेश लाल निरहुआ व रवि किशन भाजपा के साथ एक लंबे वक्त से जुड़े हुए हैं….. वैसे तो मनोज तिवारी ने साल 2009 में समाजवादी पार्टी की ओर से राजनीति में अपना भविष्य आज़माया था लेकिन उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव जीतने में असफल रहे थे…. जिसके बाद उन्होंने भाजपा की तरफ रुख किया…. फिलहाल वो वर्तमान में बीजेपी की तरफ से राजनीति में सक्रिय हैं और उतर-पूर्वी दिल्ली से सांसद हैं…. भाजपा ने उन्हें साल 2016 में दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष बनाया था लेकिन फिर विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद बीजेपी आलाकमान ने उनसे ये पद छीन लिया था…… रवि किशन सीएम योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट से सांसद हैं…. रवि किशन का भाजपा में दर्जा इस बात से समझा जा सकता है कि भाजपा ने उन्हें Y+ श्रेणी की सिक्योरिटी दी है…. वहीं, अगर बात करें अगर दिनेश लाल निरहुआ की तो भाजपा ने उन्हें आजमगढ़ से अखिलेश यादव के खिलाफ उतारा था लेकिन उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा…. फिलहाल, दिनेश लाल यादव बीजेपी के लिए काफी एक्टिव रहते हैं और एक प्रचारक के रूप में काम करते हैं……

बहरहाल, अब जब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं, तो ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपना समीकरण बनाने में जुट गई हैं….. जिससे सत्ता की राह आसान हो सके….. इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मिशन 2022 की तैयारी के तहत भोजपुरी कलाकारों को अपने पाले में लाने का काम शुरु कर दिया है….. पूर्वांचल के मशहूर भोजपुरी गायक समर सिंह ने समाजवादी पार्टी का हाथ थामकर बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है…. आपको बता दें कि समर सिंह क्षत्रिय बिरादरी से आते हैं और पूर्वांचल के क्षत्रियों के बीच उनकी अच्छी पकड़ के साथ ही मुंबई में भी उनका साखा क्रेज है…. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि समर सिंह के सपा में आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी……

इसी कड़ी में दूसरा नाम आता है काजल निशाद का….. अखिलेश यादव ने इसी सार अगस्त के पहले हफ्ते में ही काजल निशाद को सपा की सदस्यता दिलाई थी….. इसके बाद ही काजल निशाद ने भरी सभा में ऐसा जोरदार भाषण दिया कि अखिलेश यादव खुद काफी गदगद हो गए थे….. काजल के रोंगटे खड़े कर देने वाले भाषण ने सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा….. आपको बता दें कि काजल निषाद भोजपुरी इंडस्ट्री का काफी चर्चित नाम है…. लाखों की तादाद में उनके फैंस उनको अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर फॉलो करते हैं…. साथ ही ये भी तय है कि निषाद वोटों पर भी उनका सिक्का उछलेगा…. ऐसे में उनका साइकिल पर सवार होना कहीं न कहीं ये बता रहा है कि बीजेपी को निषाद वोटों से भी हाथ धोना पड़ सकता है……..

आखिर में बात आती है भोजपुरी इंडस्ट्री की जान खेसारी लाल यादव की….. खेसारीलाल यादव ने साल की शुरुआत में ही सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मुलाकात की थी….. अखिलेश ने मुलाकात की फोटो भी ट्वीट किया था… जिसमें उन्होंने बाइस में बाइसिकल के संकल्प की बात लिखी थी…… बताया ये जाता है कि विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों के बीच गहन चर्चा हुई थी…. माना जा रहा है कि खेसारी लाल यादव समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे…. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि आने वाले वक्त में खेसारी लाल यादव समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं….

गौरतलब है कि खेसारीलाल कई मौकों पर बीजेपी का विरोध कर चुके हैं…. फिर चाहे वह किसान आंदोलन हो या अन्य मुद्दे…. उन्होंने खुलकर केंद्र सरकार का विरोध किया है….. कई बार उन्होंने ट्वीट के जरिये अपना राजनीतिक रुझान प्रकट किया है…..

तो कुल मिलाकर बात येहीं खत्म होती है कि बीजेपी जहां अपने तीन भोजपुरी रत्नों के जरिए यूपी चुनाव की तैयारी कर रही है… वहीं, समाजवादी पार्टी ने भी अपने तीन भोजपुरी सेनापतियों को सामने लाकर खड़ा कर दिया है…. खेसारी लाल यादव, समर सिंह और काजल निषाद ये तीनों मिलकर क्या कमाल दिखाते हैं ये तो जनता को बस कुछ ही महीनों में दिखने वाला है…. बहरहाल, जो भी हो अखिलेश यादव के भोजपुरी दांव के सामने बीजेपी आलाकमान की रणनीति फीकी पड़ती दिखाई दे रही है….

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