ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव में भाजपा ने जिस तरह राष्ट्रीय चुनाव की तरह आक्रामक रणनीति बनायी, उसके परिणाम सामने हैं।
आज भाजपा तेलंगाना की राजनीति की चाबी माने जाने वाले जीएचएमसी चुनाव परिणामों में पिछली बार की चार सीटों के मुकाबले 48 सीटों तक पहुंची है।
दरअसल, जीएचएमसी के इलाके में 24 विधानसभा सीटें पड़ती हैं और इस कॉर्पोरेशन का सालाना बजट साढ़े पांच हजार करोड़ से अधिक है।
भाजपा ने रणनीति बनाकर एक तीर से कई शिकार किये हैं। इसे भाजपा के दक्षिण में विस्तार के अभियान के तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा ने कहीं न कहीं तेलंगाना में यह संदेश देने का भी प्रयास किया है कि राज्य की विधानसभा में भले ही कांग्रेस पार्टी विपक्ष की भूमिका में रही हो लेकिन अब भविष्य में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी टीआरएस का मुकाबला मुख्य विपक्ष के रूप में भाजपा से होने वाला है।
यह भी कि अब मुकाबला आक्रामक भाजपा से नियमित रूप से होगा। दरअसल, टीआरएस सुप्रीमो के. चंद्रशेखर राव के गढ़ में नवंबर में हुए दुब्बका विधानसभा सीट का उपचुनाव जीतने के बाद से ही भाजपा के हौसले बुलंद रहे हैं।
यही वजह है कि जीएचएमसी चुनाव को भाजपा ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर लड़ा और कांग्रेस को चुनावी परिदृश्य से बाहर करने में सफलता पायी। कुल मिलाकर भाजपा तेलंगाना में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिये आगे बढ़ चुकी है।
कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी से मुकाबले के बाद भाजपा का अगला रणक्षेत्र तेलंगाना ही होगा।
कुल मिलाकर भाजपा ने जीएचएमसी चुनाव में आक्रामक रणनीति और अप्रत्याशित सफलता से तेलंगाना के भाजपा कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है।
भाजपा ने पूरा चुनाव ही मनोवैज्ञानिक तरीके से लड़ा। हैदराबाद में नगर निगम के चुनाव पहले कभी इस तरह से नहीं लड़े गये।
इस बार चुनाव में बिजली, पानी और सफाई के बजाय सर्जिकल स्ट्राइक, रोहिंग्या मुस्लिम, बांग्लादेश व पाकिस्तान जैसे मुद्दे उछले।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के रोड शो से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम बड़े भाजपा के नेता चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाते नजर आये।
भाजपा मतों का ध्रुवीकरण कराने में भी कामयाब रही। वहीं भाजपा ने तेलंगाना की जनता को यह बताने का प्रयास किया कि टीआरएस के साथ एआईएमआईएम की अंदरखाते भागीदारी है।
साथ ही उस आरोप से मुक्त होने का प्रयास किया जो अक्सर लगाया जाता है कि एआईएमआईएम भाजपा की बी-टीम है।
बहरहाल, राज्य के युवा नेतृत्व और आक्रामक विपक्ष के रूप में भाजपा ने संदेश देने का प्रयास किया
कि तेलंगाना की राजनीति में भाजपा अब एक मजबूत विपक्ष के रूप में टीआरएस का विकल्प बनने की तैयारी में है जो पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ तीसरा फ्रंट बनाने की कवायद में लगी थी।
बहरहाल, जिस तेलंगाना में भाजपा कभी बड़ी पार्टी नहीं रही वहां जीएचएमसी चुनाव परिणामों ने उसकी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करा दी। यह टीआरएस के लिये अपना गढ़ बचाने की चुनौती है।
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