एक बार फिर दक्षिण चीन सागर में चीन और अमेरिका के बीच युद्ध से हालात उत्पन्न हो गए है। अमेरिका की सत्ता संभालने के बाद बाइडन प्रशासन ने दक्षिण चीन सागर से सटे ताइवान मुद्दे पर चीन से अपील की थी कि वह अपनी हरकतों से बाज आए। फिलहाल, अमेरिका के इस अपील का चीन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। चीन के लड़ाकू विमान दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी एयरक्राफट कैरियर को तबाह करने का करने का अभ्यास कर रहे हैं। चीनी एयरक्राफ्ट अमेरिकी कैरियर और उसके साथ मौजू युद्धपोतो से सिर्फ 250 नॉटिकल मील ही दूर रहा। चीन के इस कदम के साथ यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या वह अमेरिका को सीधे युद्ध के लिए ललकार रहा है। इसके पीछे बड़ी वजह क्या है।
अमेरिका को चुनौती देने का चीन के लिए उपयुक्त अवसर
दरअसल, चीन को अमेरिका से टक्कर देने का यह एक बेहतर अवसर लगता है। प्रो हर्ष पंत का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन को यह एक उपयुक्त अवसर लगता है। इसके दो प्रमुख कारण है। पहला-कोरोना वायरस के कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो चुकी है। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते अमेरिका इस समय अपने आंतरिक हालात से जूझ रहा है। दूसरे- अमेरिका में सत्ता में बदलाव हुआ है। राष्ट्रपति चुनाव के बाद जो बाइडन ने हाल ही में सत्ता संभाली है। वह अमेरिका के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति हैं। उनकी सबसे बड़ी चुनौती देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकना है। चुनाव प्रचार के दौरान भी उनके सभी भाषण देश के आंतरिक मामलों से ही जुड़े थे। चीन उनके एजेंडे में नहीं था। इसलिए चीन इस अवसर का पूरा लाभ लेना चाहता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल चीन की यह हरकत युद्ध के लिए कम और अमेरिका को सावधान करने के लिए ज्यादा है। चीन ने ऐसा करके यह संदेश दिया है कि वह अमेरिकी युद्धपोतों पर आसानी से हमला कर सकता है और उसकी पहुंच वहां तक है।