कोरोना टॉप-10 से बाहर हुई दिल्ली, 89.07 प्रतिशत मरीज हुए स्वस्थ


नईदिल्ली, 31 जुलाई (आरएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार धीमी हो चली है। ऐसे में राजधानी के लिए यह एक राहत भरी खबर है। ताजा जानकारी के मुताबिक कोरोना के एक्टिव मामलों में दिल्ली देश के टोप-10 राज्यों से बाहर हो गयी है। अब दिल्ली 11वें पायदान पर पहुंच गयी है। बता दें कि दिल्ली में केवल 7.99 प्रतिशत एक्टिव मामले ही बचे हैं। वहीं 89.07 प्रतिशत मरीज़ ठीक हो चुके हैं, जबकि 2.93 प्रतिशत मरीज़ों की मौत हो चुकी है। दिल्ली में इस समय रोज़ाना करीब 1,000 नए कोरोना मामले सामने आ रहे हैं।


बता दें कि दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के लिए अब तक 10 लाख से अधिक नमूनों की जांच की जा चुकी है। आंकड़ों के अनुसार इनमें से लगभग आधे नमूनों की जांच पिछले 30 दिनों में की गई। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में अब तक 10,13,694 परीक्षण किए गए हैं यानी औसतन प्रति 10 लाख आबादी पर 53,352 नमूनों की जांच की गई है। पिछले महीने हर रोज कोरोना वायरस के 2,000-3000 नए मामले सामने आ रहे थे जिसे देखते हुए दिल्ली में जांच क्षमता बढ़ा दी गई। आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में 3.82 लाख रैपिड एंटीजन टेस्ट हुए। रोजाना किए जाने वाले रैपिड एंटीजन जांचों की संख्या आरटी-पीसीआर जांचों के दोगुने से अधिक है।
वहीं केजरीवाल सरकार अब कोविड-19 अस्पतालों में हुई मौतों के कारणों का विस्तृत आकलन करवाएगी। इसके लिए दिल्ली सरकार ने बाकायदा चार समितियों के गठन का आदेश दिया है। ये समितियां दिल्ली के कोविड-19 अस्पतालों का निरीक्षण करके उसकी रिपोर्ट देंगी। सीएम केजरीवाल के मुताबिक ये समितियां उन अस्पतालों का निरीक्षण करके सुझाव देंगी जहां अभी भी अधिक मौतें हो रही हैं।
दिल्ली के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने इसके संबंध में आदेश जारी करते हुए इन समितियों को अस्पतालवार कोविड-19 महामारी के मानक के अनुसार इन अस्पतालों के संचालन प्रक्रियाओं और वहां पर प्रोटोकॉलों का पालन ठीक से कराने का निर्देश जारी किया। यह समितियां राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों में कोविड-19 की मौतों के पीछे के कारणों की भी जांच करेंगी।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी आदेश में लिखा गया है, ‘यह देखा गया है कि अस्पतालों में भर्ती होने की तुलना में मौतों का प्रतिशत और सरकारी व निजी क्षेत्र के 11 अस्पतालों के वार्डों में कोविड मौतों का प्रतिशत 1 जुलाई से 23 जुलाई के बीच उच्च स्तर पर था।
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