पीजीआई में बड़ा दवा घोटाला सामने आया है ।

लखनऊ
यूपी की राजधानी स्थित पीजीआई में फर्जी प्रिस्क्रिप्शन से मरीजों के अकाउंट की दवा संस्थान के एचआरएफ स्टोर से निकालने का मामला सामने आया है। इसमें संस्थान के कर्मचारियों की भूमिका पाई गई है।

फर्जी प्रिस्क्रिप्शन बनाकर मरीज के नाम पर दावा लेकर बाजार में बेचने का खुलासा एक मरीज की शिकायत पर हुआ है। जांच में आठ कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आने पर पीजीआई निदेशक प्रो. आरके धीमान की तरफ से नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। इसके साथ ही जांच के लिए समिति भी गठित की गई है।
पीजीआई की प्रवक्ता डॉ. कुसुम यादव ने बताया कि सीएमएस प्रो. सोनिया नित्यानंद के मुताबिक एक मरीज ने शिकायत की थी कि उसके अकाउंट से दवा के पैसे कटे हैं, जबकि उसने दवा नहीं ली है। जानकारी के बाद जांच एचआरएफ चेयरमैन डॉ. विवेक आनंद सारस्वत को सौंपी गई। प्राथमिक जांच में पता चला कि डॉक्टरों के फर्जी साइन और फर्जी प्रिस्क्रिप्शन से दवा निकाली गई।

मरीज के भर्ती होने पर खुलता है खाता
पीजीआई में हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के तहत मरीज को बाजार से 50 से 60 फीसदी कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं। मरीज के भर्ती होते ही एचआएफ में खाता खुलता है। इसके बाद मरीज को दी जाने वाली दवाओं के पैसे खाते से कटते हैं। कई बार मरीज ध्यान नहीं देते कि कौन-कौन सी दवा दी गई। इसी का फायदा उठाकर कर्मचारी खेल कर रहे थे।

इन पर दर्ज हुई है रिपोर्ट
फर्जी प्रिस्क्रिप्शन बनाकर मरीज के अकाउंट से दवा लेने के बाद बाजार में बेची जाती थी। एक मरीज ने खेल पकड़ लिया और शिकायत कर दी। घपले में हॉस्पिटल एचआरएफ अकाउंट के लोग भी शामिल हैं। इसकी पुष्टि के बाद ओपीडी एचआरएफ फार्मेसी के नृपेंद्र सिंह, मो. नसीम खान, पंकज कुमार सिंह, आशुतोष कुमार यादव, अरविंद कुमार और एचआरएफ अकाउंट के विनीत शुक्ला, हरिशंकर तिवारी और अनिल यादव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है।

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