जनप्रतिनिधि जमकर कर रहे बंदरबांटबख्शी का तालाब क्षेत्र की अनियमितताओं की सीएम से शिकायत
अजय सिंह चौहान
लखनऊ।(आरएनएस ) केंद्र व राज्य सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा में पंचायतों में खुलेआम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। राजधानी के बख़्शी का तालाब विकासखण्ड के कठवारा, हरदौरपुर, शिवपुरी, गुलालपुर,दुर्जनपुर, नगुवामऊ सहित लगभग सभी ग्राम पंचायतों में तैनात सचिव ,रोजगार सहायक,मनरेगा विभाग के सत्यापन अधिकारी, प्रोग्राम ऑफिसर एवं उच्च अधिकारी द्वारा आपस में मिलकर कच्चे कार्यों में जमकर सरकारी धन का बंदरबांट किया गया है।सरकार की योजनाओं को क्या हश्र होता है, इसकी तस्वीर सामने है। जिम्मेदार अधिकारियों ने केंद्र सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में भी जिम्मेदारों ने फर्जी जॉबकार्डों के सहारे कलम की कलाबाजी दिखाई है।बताते हैं कि इस योजना में फर्जी जॉब कार्ड से कागजों पर कुदाल चला कर मजदूरों का पैसा हजम कर लिया गया है।बताते हैं कि बीकेटी विकासखण्ड के अधिकांश ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्य में लगे जनप्रतिनिधि,अधिकारी, प्रशासनिक कर्मचारी ही योजना को पलीता लगा रहे है।ग्रामीणों ने मनरेगा योजना के तहत कठवारा सहित अन्य ग्राम पंचायतों में कराये गये कार्यों के भौतिक सत्यापन करवाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग मुख्यमंत्री से की है।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को लेकर प्रशासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों की अवहेलना खुलेआम ग्राम पंचायतों में की जा रही है। मनरेगा योजना में घोटाला कर एकत्र किया गया कमीशन का रूपया जिले में तैनात उच्चाधिकारियों तक जाता है।जिससे ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों द्वारा उच्चाधिकारियों से भ्रष्टाचार की शिकायत करने पर भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई ना होने की वजह से बंदरबांट करने वालों के हौसले बुलंद है।दरअसल इन ग्राम सभाओं में शौचालय, आवास व मनरेगा के तहत जमकर घोटाला हुआ है। इतना ही नहीं ग्रामसभा अंतर्गत आने वाले किसी भी छोटे बड़े कार्य को सिर्फ कागजों पर ही दर्शाया गया है। जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय प्रशासन से की, लेकिन मामला सिर्फ रफा-दफा करने का ही कार्य किया गया हैlजबकि पीएम नरेन्द्र मोदी का सपना है, कि हर घर पर शौचालय का निर्माण हो, हर व्यक्ति के पास अपना खुद का मकान हो, गांव स्तर पर ही मनरेगा के तहत कार्य होते रहे। जिससे मजदूर बाहर मजदूरी करने के लिए ना जाए। लेकिन ग्राम सभा कठवारा की तस्वीरों से आप देख सकते हैं, कि जिम्मेदारों द्वारा स्वहित के लिए सरकारी योजनाओं को किस प्रकार से भ्रष्टाचार की भेंट पर चढ़ा दिया गया। वहीं दर्जनों गांवों में आधे अधूरे बने शौचालय और शौचालय के अंदर सीट गायब, छत गायब तथा दरवाजे भी नदारद हैं।अब आप सिर्फ शौचालयों की स्थिति को देखकर ही अंदाजा लगा सकते हैं, कि किस प्रकार से हैं यहां विकास हुआ।ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम सभा में जितने भी कार्य आते हैं। प्रधान के द्वारा कमीशन खोरी के तहत कागजों पर ही निर्माण करा दिया जाता है।शौचालय निर्माण में जब हम ग्रामीणों ने प्रधान को कमीशन नहीं दिया तो सब कुछ अधूरा ही रह गया। फिलहाल जब इस मुद्दे पर ‘तरुणमित्र’ की टीम ने ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन तो दिया लेकिन कैमरे के सामने आने से बिल्कुल मना कर दिय।
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ऐसे होता है गोलमाल
ग्राम पंचायतों में मनरेगा कार्य में कई तरह से किया जा रहा है भ्रष्टाचार, जैसे जो कभी काम नहीं करता उनका भी ग्रामीण क्षेत्रों में जॉब कार्ड बना हुआ है, तथा जिनका जॉब कार्ड बना है और कार्य नहीं करते, उनके भी नाम से मास्टर प्लान तैयार कर पैसे का भुगतान करा लेते हैं ।वहीं ग्रामीणों द्वारा किये गये कम कार्य कोअधिक कार्य दर्शा कर एवं कम दिनों में ही कार्य पूर्ण कराने के बाद अधिक दिनों तक मजदूरों से कार्य कराना कागजों में दर्शा कर भी भुगतान किया जाता है।