अशोक झुनझुनवाला
बिजली से चलने वाले वाहनों (ईवी-इलेक्ट्रिक व्हीकल) के लिए बैटरी की अदला-बदली (बैटरी स्वैपिंग) का प्रस्ताव भारत में लगभग साढ़े तीन साल पहले रखा गया था। तर्क सरल था। बिजली से चलने वाले वाहनों (ईवी) की प्राथमिक लागत बैटरी है, जो ईवी की कुल लागत का 30त्न से 50त्न तक होती है।
बैटरी के बिना ईवी की लागत, मौजूदा पेट्रोल वाहनों की लागत से ज्यादा नहीं है। लेकिन बैटरी को जोडऩे के बाद वाहन की लागत बढ़ जाती है और यह महंगी हो जाती है। बैटरी ऊर्जा (बिजली) का कंटेनर है जो वाहन को शक्ति देता है, ठीक उसी तरह जैसे ईंधन-टैंक पेट्रोल के लिए एक कंटेनर है। ईंधन-टैंक सस्ता होता है, लेकिन बैटरी महंगी होती है। क्या होगा यदि कोई ग्राहक बैटरी नहीं खरीदे, बल्कि जरूरत पडऩे पर सिर्फ चार्ज की गई बैटरी ले ले और डिस्चार्ज बैटरी को वापस कर दे? यदि ग्राहक बैटरी का सिर्फ उपयोग करने के लिए भुगतान करता है, तो वह ऊंची कीमत वाली बैटरी खरीदने से बच जाता है। भारत में पहले भी ऐसा हो चुका है। हम खाना पकाने के लिए एलपीजी गैस-सिलेंडर लेते हैं, लेकिन सिलेंडर खरीदते नहीं हैं। हमें भरा हुआ सिलेंडर मिलता है, हम इसका उपयोग करते हैं और फिर खाली सिलेंडर को भरे हुए सिलेंडर से बदल लेते हैं। यह मॉडल बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है, इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन हुआ है और देश को हर घर तक पाइप-गैस पहुंचाने के महंगे और कठिन विकल्प को अपनाना नहीं पड़ा है। अब एलपीजी गैस-सिलेंडर 96.9त्न घरों को कवर करते दूरदराज के गांवों तक पहुंच गए हैं। दूरदराज के गांवों तक गैस-पाइप पहुँचने की कल्पना करें!
बैटरी स्वैपिंग को व्यावहारिक बनाने के लिए, एक ईवी ग्राहक एनर्जी ऑपरेटर (ईओ) की सेवाएं लेगा। एनर्जी ऑपरेटर बैटरी खरीदेगा, उन्हें चार्ज करेगा और वाहन मालिकों (वीओ) को विभिन्न स्थानों पर बैटरी बदलने की सुविधा देगा। जब किसी ग्राहक की बैटरी ख़त्म होने वाली होगी, तो वह इन आउटलेट्स में जायेगा और अपनी डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज की गई बैटरी से बदल लेगा। इसमें केवल 2 से 5 मिनट का समय लगेगा। वाहन मालिकों (वीओ) को बैटरी स्वैपिंग सेवाओं के लिए एक खास एनर्जी ऑपरेटर (ईओ) की सदस्यता लेनी होगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बदली (स्वैप) गई बैटरी का कोई दुरुपयोग या चोरी नहीं हो, उन्हें केवल खास ईओ द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से लॉक और चार्ज होने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा और केवल उस वाहन के लिए उपयोग करने के योग्य होगा, जिसके लिए इसे अस्थायी रूप से चिह्नित किया गया है। पेट्रोल भरने के लिए पेट्रोल-पंप शुल्क की तरह ही ईओ बैटरी स्वैपिंग के लिए बैटरी को चार्ज करके ग्राहक को देने के इस कारोबार को लाभ देने वाला व्यवसाय बना देगा। बैटरी बदलने का शुल्क बैटरी की लागत, चार्ज करने की लागत और स्वैपिंग कारोबार चलाने की लागत पर आधारित होगी। इसका निर्धारण इस तरह किया जायेगा कि ईओ एक लाभदायक व्यवसाय बन सके। वाहन मालिकों (वीओ) के लिए प्रति किमी स्वैप-बैटरी की लागत, समान वाहन के लिए प्रति किमी पेट्रोल लागत से कम होगी। वाहन मालिकों को इसमें पैसे की बचत होगी, इसलिए वे पेट्रोल वाहन के स्थान पर ईवी अपनाने के लिए तैयार हो जायेंगे। बैटरी स्वैपिंग सेवा प्रदान करने वाले कई एनर्जी ऑपरेटर (ईओ) होंगे, इसलिए वाहन मालिक उस वीओ का चयन करेंगे, जो कम शुल्क में बेहतर सुविधाएँ देगा।
इसमें से अधिकांश (लॉजिस्टिक्स और अर्थव्यवस्था) पर साढ़े तीन साल पहले विचार किया गया था। लेकिन कई लोगों ने कहा कि यह विचार बहुत उग्र सुधारवादी है और दुनिया के अन्य देशों ने अभी तक इसे नहीं अपनाया है। भारत के पक्ष में यह तर्क दिया गया कि अन्य देशों की पीछे चलने की बजाय इसे नेतृत्व प्रदान करना चाहिए, देश को पश्चिम की तुलना में कम लागत वाले दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए और ईवी को किफायती बनाया जाना चाहिए। ईवी को किफायती बनाने के मामले पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई। कुछ वाहन-निर्माता भी साथ नहीं थे। कुछ वाहन-निर्माता नहीं चाहते थे कि इलेक्ट्रिक वाहन को सरकार समर्थन प्रदान करे, जबकि अन्य निर्माता बैटरी को वाहन से अलग नहीं करना चाहते थे क्योंकि इससे लाभ कम हो जाने की सम्भावना थी।
लेकिन कुछ लोगों / कंपनियों ने इसे अपनाया। इनमे प्रमुख थे – फ्लीट ऑपरेटर जो बड़ी संख्या में वाहनों का संचालन करते हैं। इन्होंने प्रस्ताव को समझा और बैटरी की अदला-बदली शुरू कर दी और बड़े पैमाने पर ईवी का उपयोग करने लगे। वे सरकार से बैटरी के बिना ईवी की बिक्री को वैध बनाने का आग्रह कर रहे थे। हालांकि इसमें समय लगा, लेकिन सरकार ने महसूस किया कि इस अभिनव दृष्टिकोण से देश और ग्राहकों को लाभ होगा। सरकार ने इस महीने बिना बैटरी के ईवी की बिक्री को वैध कर दिया गया है। यह भारत में ईवी को अपनाने के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है। भारत ने अंतत: नेतृत्व करने का निर्णय लिया है!
निश्चित रूप से कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनके समाधान की जरूरत है। सरकार और उद्योग को यह पता लगाने की आवश्यकता है कि ईवी के लिए घोषित फेम ढ्ढढ्ढ सब्सिडी ईओ को कैसे प्राप्त हो, क्योंकि ईओ अब ईवी बैटरी और चार्जर में निवेश करेंगे। यदि हर प्रकार के वाहन वर्ग में मानक व समान कनेक्टर, बैटरी- आकार (फॉर्म-फैक्टर) और ईवी, बैटरी और चार्जर के बीच समान संचार प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है, तो इससे बहुत मदद मिलेगी । लेकिन ये महत्वपूर्ण कार्य हैं, जिन्हें किये जाने की जरूरत है। सरकार द्वारा उठाए गए साहसिक कदम ने भारत को ईवी के साथ आगे बढऩे में सक्षम बनाया है। अब ईवी के ओईएम व ईओ को फेम सब्सिडी मिलने के लिए स्पष्ट व्यवस्था बनाई जानी चाहिए तथा इसे तेजी से अपनाया जाना चाहिए, ताकि देश में बैटरी की अदला-बदली का कारोबार बड़े पैमाने पर शुरू हो सके।
लेखक प्रोफेसर, आईआईटी मद्रास हैं