कहर और उम्मीद ऐसे वक्त में जब रोज अस्सी हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमितों

कहर और उम्मीद
ऐसे वक्त में जब रोज अस्सी हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमितों के आंकड़ा सामने आ रहा है और कुल आंकड़ा 39 लाख से अधिक जा पहुंचा है, देश पहले जैसा भयभीत नहीं है।

दरअसल, विषम परिस्थितियों के बीच जनमानस ने मान लिया है कि हमें कोरोना से संघर्ष के साथ जीना है। लेकिन यह भी सत्य है कि अब तक देश में इस महामारी से मरने वालों का आंकड़ा 68 हजार से ऊपर पहुंच गया है। संभव है इसी रफ्तार से संक्रमण जारी रहा तो कुछ ही दिनों में हम ब्राजील को पीछे छोड़कर संक्रमण के लिहाज से दुनिया में दूसरे स्थान पर आ जायेंगे। लेकिन इसके बावजूद अच्छी बात यह है कि मृत्यु दर के मामले में हम बेहतर स्थिति में हैं। शायद एक वजह यह है कि दक्षिण एशिया के परिवेश में एक ट्रेंड है और भारत की बड़ी आबादी युवा है। विडंबना यह कि देश के आर्थिक हालात को देखते हुए हमें जान के साथ जहान की फिक्र भी करनी है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के बेहद निराश करने वाले आंकड़ों ने हमें यह सोचने को मजबूर किया है कि हम अपनी आर्थिकी कोरोना के भय के भरोसे नहीं छोड़ सकते। लेकिन इसका मतलब यह कदापि नहीं है कि हम संक्रमण के बचाव के कायदे-कानूनों का पालन न करें। दुनिया के तमाम विकसित देश भी यह दावा नहीं कर पा रहे हैं कि वे कोरोना संक्रमण के शिकंजे से मुक्त हो गये हैं। न्यूजीलैंड व चीन के मामले हमारे सामने हैं कि कोरोना लौट-लौटकर आया है। यह अच्छी बात है कि यूरोप, रूस व चीन में बच्चों के स्कूल खुले हैं, लेकिन तमाम सुरक्षा उपायों का ख्याल किया गया है। हालांकि, भारत में ऐसी स्थिति अभी नहीं आई है। इसके बावजूद हमें महामारी को गंभीरता से लेना होगा जब तक कि अंतिम चरण में पहुंच चुकी वैक्सीन तलाश की प्रक्रिया अंजाम तक न पहुंचे।
यूं तो इस समय संक्रमण की तेज गति तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में है और यहां देश के 62 फीसदी सक्रिय मामले हैं। निस्संदेह यहां ज्यादा सतर्कता की जरूरत है। वहीं चिंता बिहार, पश्चिम बंगाल व असम जैसे राज्यों में राजनीतिक सक्रियता को लेकर भी है। बिहार में जल्दी ही चुनाव की बात की जा रही है। राजनीतिक गहमागहमी के बीच जरूरी है कि कोरोना संक्रमण के प्रति अतिरिक्त सावधानी बरती जाये। वहीं दूसरी ओर हरियाणा व पंजाब में भी संक्रमण की तेजी चिंता का विषय है। जैसा कि स्वाभाविक था कि राष्ट्रीय राजधानी से जुड़े गुरुग्राम, फरीदाबाद व सोनीपत में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले हैं, मगर धीरे-धीरे राज्य के दूसरे जिले भी तेजी से संक्रमण के दायरे में आते जा रहे हैं। राज्य में संक्रमण का आंकड़ा 71 हजार पार कर जाना राज्य के नीति-नियंताओं के लिये अतिरिक्त प्रयासों का विषय होना चाहिए। मुरथल के दो ढाबों में 75 से अधिक कर्मचारियों का कोरोना पॉजिटिव होना हमारी चिंता का विषय होना चाहिए। अनुमान है कि करीब दस हजार से अधिक लोग इनके संपर्क में आये होंगे, जिनकी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी एक बड़ी चुनौती साबित होगी क्योंकि इन ढाबों में दिल्ली-चंडीगढ़ व पंजाब जाने वाले यात्री ज्यादा रुकते हैं। बहरहाल, एक हकीकत यह भी है कि देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी आने की वजह तेजी से हो रही टेस्टिंग भी है। यह अच्छी बात है कि जांच का यह आंकड़ा रोज ग्यारह लाख को पार कर रहा है। तेज जांच के चलते उसी अनुपात में पॉजिटिवों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि, यदि समय रहते यह जांच हो पाती तो संभव है संक्रमण की दर को कम किया जा सकता। मगर विकासशील देश होने के नाते हमारे संसाधनों की अपनी सीमाएं हैं। फिर भी हम इस चुनौती का मुकाबला तेजी से कर पा रहे हैं, बावजूद इसके कि हमारे चिकित्सा संसाधन सीमित हैं। बहरहाल, एक नागरिक के नाते हमारा दायित्व बनता है कि हम अतिरिक्त सावधानी बरतें। आर्थिक गतिविधियां अपनी जगह हैं और हमारी सावधानी अपनी जगह, तभी हम कोरोना को हरा पाएंगे।

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