जी हां, हर व्यक्ति तक पहुंच कर सैंपल लेने का काम कतई आसान नहीं। इस काम में हर दिन अनेक व्यक्तियों से करीबी और सीधा संपर्क होता है। जरा-सी चूक हुई तो खुद के संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। पर सैंपल लेने में जुटी इस टीम के हजारों-लाखों योद्धाओं ने इस भय को परे रख अपने दायित्व का निर्वहन डटकर किया है। इनके इस योगदान के बूते ही इस लड़ाई को लड़ने का काम जमीनी स्तर पर सुचारू बना हुआ है। सैंपल देने वाला व्यक्ति पैरामेडिकल स्टाफ के इसी जज्बे के कारण इनके प्रति सम्मान के भाव से भर उठता है। सैंपल देने के दौरान ऐसा अनुभव आपमें भी अवश्य जागृत हुआ होगा। पढ़ें कुछ ऐसे ही कोरोना योद्धाओं की कहानी। फरीदाबाद से जागरण संवाददाता अभिषेक शर्मा की रिपोर्ट।
हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास तीन ऐसे ही पैरामेडिकल कर्मी हैं, जिनकी सभी तारीफ करते हैं। लैब टेक्नीशियन सतपाल और सुनील अत्री के अलावा वॉर्ड अटेंडेंट पंकज राजपूत की ड्यूटी भी सैंपल कलेक्शन के काम में लगी हुई है। तीनों नौ महीने से बिना रुके-बिना थके कोरोना जांच के लिए लोगों के सैंपल लेने का काम करते आ रहे हैं। इलाके के लोग इनके इस जज्बे के कायल हुए बिना नहीं रहते। इनके प्रति लोगों का सम्मान दिखता है। कौराली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बतौर लैब टेक्नीशियन काम करने वाले सुनील अत्री एक अप्रैल से नागरिक अस्पताल की आइडीएसपी लैब में सैंपल ले रहे हैं और अब तक 15 हजार से अधिक सैंपल ले चुके हैं। इनमें से कई लोगों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए।
हरियाणा में सुनील ने ही सबसे पहले मोबाइल वैन से सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद प्रदेश के विभिन्न जिलों में इस तरह की प्रक्रिया शुरू की गई। राहत की बात यह है कि इन नौ महीनों में अब तक वे संक्रमित होने से बचे हुए हैं। कोरोना सैंपलिंग के दौरान तबीयत तो खराब हुई, लेकिन हर बार रिपोर्ट नेगेटिव ही आई। सुनील ने बताया कि शुरुआत में स्वजनों को संक्रमण से बचाने के लिए कई-कई दिन घर नहीं गए, लेकिन अब यह जीवन का एक हिस्सा बन गया है और घर पहुंचने के बाद परिवार के बीच जाने से पहले बेहद सावधानी बरतते हैं। खुद को पूरी तरह सैनिटाइज करते हैं। स्वजन