परंपरागत खेती छोड़ किसान हाइटेक खेती कर नजीर पेश कर रहे हैं |

उन्नाव, राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिशन के तहत ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए लगातार काम किया जा रहा है…. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और गरीब परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराना मिशन का मुख्य उद्देश्य है….. इसी के तहत उत्तर प्रदेश के 53 लाख परिवार जुड़े हुए हैं…. सरकार की तरफ से इसे लेकर विक्षिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं…. इसी क्रम में उन्नाव जनपद में चल रही एक उन्नत किस्म की खेती महिलाओं को आत्मनिर्भर व उनकी आय बढ़ाने का एक बड़ा ज़रिया हो सकती है….. समूह से जुड़े किसानों की आर्थिक रूप से भी मदद की जा रही है…. साथ ही कृषि आजिविका सखी को किसानों को एक खास किस्म की खेती की ट्रेनिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है…. अशोक कुमार, जिला मिशन प्रबंधक, एनआरएलएम के अथक प्रयासों से उन्नत किस्म की खेती की शुरुआत मुमकिन हो पाई है…. जी हां, हम बात कर रहे हैं थाई अमरूद की…..

थाई अमरूद की विशेषता है कि इसका पौधा कम समय में यानि लगभग एक-डेढ़ साल में ही फल देने लगता है…. एक थाई अमरूद का वजन एक से दो किलोग्राम तक हो सकता है…. इसके साथ ही औषधीय विशेषता होने की वजह से बाजार में इसकी कीमत 100 से 150 रुपए प्रति किलोग्राम की दर रहती है…. इसको नियमित खाने से डायबिटीज़ भी कम होती है…. एक पौधा कम से कम 20 से 25 साल तक फल दे सकता है… चलिए अब आपको सुनाते हैं कि किस तरह से थाई अमरूदों की खेती की शुरुआत हो पाई है….

बाइट- अशोक कुमार, जिला मिशन प्रबंधक, आजीविका

विटामिन सी, फाइबर और फोलिक एसिड से जैसे तत्वों से भरपूर थाई अमरूद औषधीय गुणों से भरपूर होता है…. वहीं, अमरूद की देशी और अन्य किस्मों की तुलना में यह जल्दी फल देने लगता है… इसकी लागत की बात की जाए तो 1 एकड़ में 600 पेड़ की रुपाई पर कुल लागत डेढ़ लाख और प्रथम वर्ष में अनुमानित आय तीन लाख तक भी हो सकती है…… ब्लॉक पुरवा, ग्राम झोलामऊ के किसानों ने इस खेती को बढ़ चढ़कर अपनाया है….. अगर सही रखरखाव किया जाए तो इसमें 18 महीनों में ही फल आने लग जाते हैं…

परंपरागत खेती छोड़ किसान अब हाइटेक खेती कर नजीर पेश कर रहे हैं…. 25 से 30 महिलाएं थाई अमरूद की खेती में लगी हुई हैं….. आधुनिक तरीके से बागबानी कराई जा रही है… इसके साथ ही ड्रिप सिंचाई सिस्टम अपना कर किसान बेहद खुश है क्योंकि इस विधि से समय और ईंधन दोनों की बचत हो रही है….. वहीं, अशोक कुमार की इस सराहनीय पहल की तारीफ हर जगह की जा रही है…और इसी से सीख लेते हुए अब थाई अमरूदों की खेती को अन्य विकास खंडों में भी ले जाने की तैयारी चल रही है…..

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