
काबुल, अफगानिस्तान में पुलिस और तालिबानी आतंकियों के बीच हुई एक हिंसा में झड़प में 12 तालिबानी आतंकवादियों और दो सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई है। तगाब जिले में हुई झड़प के बाद 12 आतंकवादियों को पुलिस ने मार गिराया, लेकिन इस दौरान 2 पुलिसकर्मियों की भी मौत हो गई। गुरुवार रात पुलिस और आतंकियों के बीच ये हिंसक झड़पें शुरू हुई थीं, जो शुक्रवार दोपहर तक चलीं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, तालिबानी आतंकवादी इस हिंसा के बाद सभी 12 आतंकियों के शवों को छोड़कर भाग गए। इस झड़प में दो सुरक्षाकर्मियों और सहित 10 अन्य लोगों की भी इस झड़प के बीच मौत हो गई और पांच सुरक्षाकर्मी और पांच आतंकी समेत 10 अन्य लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने हिंसकर झड़प के बाद कहा कि आतंकवादियों का सफाया करने के लिए सफाई अभियान जारी है।
तालिबान से बातचीत पर भारत ने अमेरिका को चेताया
अमेरिका ने हाल ही में तालिबान के साथ बातचीत के जरिए मसलों को हल करने में काफी दिलचस्पी दिखाई है। आपको बता दें कि अगले हफ्ते कतर में अमेरिका और तालिबान के बीच नए दौर की बातचीत शुरू होने वाली है। इस बीच भारत ने आतंकी समूह के साथ जल्दबाजी में बातचीत को लेकर चेताया है जो अफगानिस्तान के श्रेष्ठ हितों के बजाय वाशिंगटन की समयसीमा को समर्पित है।
सुरक्षा परिषद में बुधवार को भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करना शांति समझौते को आगे बढ़ाने की एक पूर्व शर्त है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि अफगानिस्तान में आतंकी गतिविधियों के लिए सीमा पार से ‘समर्थन और सुरक्षित ठिकाना’ पा रहे आतंकी गुटों को ‘सुविधाजनक स्थिति से’ वार्ता करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
भारत ने आगे कहा, ‘ अफगानिस्तान में वास्तविक एवं स्थाई शांति के लिए आंतक के नेटवर्कों को मिले सुरक्षित ठिकाने समाप्त होने चाहिए। अकबरुद्दीन ने ‘अफगानिस्तान में हालात’ पर बुधवार को एक खुली परिचर्चा के दौरान कहा, ‘जब आगे के रास्ते का खाका तैयार किया जा रहा है, हम यह अनदेखी नहीं कर सकते कि सर्मथन और सुरक्षित ठिकाना पा रहे गुट सीमा पार से हिंसक और आतंकी घटनाओं को अंजाम देते हैं। उन्हें सुविधाजनक स्थिति से वार्ता करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’
उन्होंने कहा कि तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, आइएस, अलकायदा और उससे जुड़े लश्कर और जैश के आतंकी गतिविधियों का समाप्त होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के 29 अप्रैल को आयोजित ‘लोया जिरगा’ के समापन बयान में संघर्ष विराम, बिना किसी शर्त के बातचीत, अफगानिस्तान में तालिबान का एक कार्यालय खोला जाना, अंतरराष्ट्रीय बलों की वापसी, समग्र वार्ता दल का गठन, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लगातार सहयोग और मानवाधिकारों का पालन, खास तौर पर महिलाओं के अधिकारों का पालन आदि मांग की गई है।