तुष्टीकरण की राजनीति के तहत मुकदमा वापस लेती थी सपा, पूर्व डीजीपी ब्रजलाल ने बताई सपा सरकार में कानून व्यवस्था की हकीकत ।
भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद व पूर्व डीजीपी ब्रजलाल ने कहा है कि समाजवादी पार्टी की सरकारें तुष्टीकरण की राजनीति के तहत जघन्य अपराधियों और आतंकियों के मुकदमे वापस लेने में भी कोई गुरेज नहीं करती थीं। उन्होंने कहा कि वह वर्ष 1993 में मेरठ में एसएसपी थे तब पीएसी की टुकड़ी पर ग्रेनेड से हमला हुआ था। इस मामले में 41वीं वाहिनी पीएसी ग़ाज़ियाबाद के हवलदार महेंद्र शर्मा मारे गये थे और सिपाही प्रमोद घायल हुए थे।
मामले में अब्दुल ज़ब्बार,मोहम्मद अयूब सहित सात आतंकियों को 2.250 Kg आरडीएक्स, चायनीज़ स्टिक और प्लास्टिक ग्रीनेड के साथ गिरफ़्तार किया था। वर्ष 1993 के अंत में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री ने तुष्टिकरण की राजनीति में यह मुक़दमा वापस लिया, परंतु अदालत ने अनुमति नहीं दी और आतंकियों को आजन्म कारावास की सजा दी। ऐसे ही लखनऊ, वाराणसी और अयोध्या की कचहरियों में बम विस्फोट हुए, जिनमे एक दर्जन से अधिक वकील और वादकारी मारे गये थे। इस मामले में भी अखिलेश यादव की सरकार ने कोतवाली बाराबंकी में दर्ज मुकदमा वापस लिया था।