हिंदी भाषा भव्य है,रत्न जड़ित श्रंगार।अक्षर अक्षर में घुला, मां वाणी का प्यार।।उच्चारण में है मिले,सहज सरल आभास।अंधकार हर कर हमें,देती सतत प्रकाश।।हर भाषा से है सहज,सरल तरल उच्चार।कंठ और जिह्वा करें, हिंदी से ही प्यार।
।लिखें उचारें हम वही, जैसी उठे हिलोर।इसीलिए अब विश्व में, हिंदी है चहुंओर।।जिसके सुमिरन में मिले, चंदन युक्त बयार।आँचल में जिसके छिपा, भारत मां का प्यार।।मीरा भूषण सूर अरु, तुलसी चंद कवीर।मिल सब मां चरनन दिया, चंदन और अबीर।।बिंदी से हिंदी सजी, चन्दा सजता भाल।मन को अति मोहक लगें, इसके सुर अरु ताल।।निज भाषा के ज्ञान से,चढ़ते जन सोपान।संघ समूह समाज में, मिलती इक पहचान।।भारत में भाषा कई, आदर की सब पात्र।जगत जीतने के लिए, हिंदी ही है मात्र।।