उन्नाव दुष्कर्म कांड ने एक बार फिर देश में कानून और न्यायपालिका की दयनीय स्थिति को उजागर कर दिया है। जून 2017 में यूपी के एक गांव से किशोरी का अपहरण हुआ। 10 दिन बाद पुलिस उसे खोज सकी। उसने पुलिस को बताया कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सहित कुछ लोगों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया है।
बावजूद पुलिस ने विधायक का साथ देते हुए चार्जशीट में उसे बचा लिया। दुष्कर्म के कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ये स्पष्ट कर चुकी है कि ऐसे केस में पीड़िता का बयान ही किसी को आरोपी बनाने और अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त आधार है। बावजूद उन्नाव केस में विधायक को आरोपी बनवाने के लिए पीड़िता को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
इसके बाद विधायक ने पीड़िता और उसके परिवार का मुंह बंद कराने को इतनी आपराधिक साजिशें रचीं कि उसका पूरा परिवार तबाह हो गया। पीड़िता के पिता की जेल में हत्या कर दी गई। 28 जुलाई को एक गंभीर सड़क दुर्घटना में उसकी मौसी और चाची की भी मौत हो गई। पीड़िता और उसका वकील अस्पताल में जिंदगी-मौत के बीच झूल रहे हैं। इस दुर्घटना के पीछे भी विधायक का हाथ होने का आरोप है। दुष्कर्म के इस मामले ने सुप्रीम कोर्ट को भी झकझोर दिया।